साईं पूर्ण रूप से विरक्त थे, शुद्ध चेतन्य स्वरूप थे, वे परमानंद थे I काम, क्रोध की प्रबल भावनाएं उनके चरणों की शरण लेती थी I वे इच्छारहित और पूर्णत: संतुष्ट थे I
"Baba was not attached. He was the Supreme Being, turned towards his self, whose desire and anger were put to rest, who was free from desires and attachments, and who had completely achieved his mission."
Shirdi Sai
Pages
Monday, July 12, 2010
श्री साई सच्चरित्र
श्री साई सच्चरित्र
आओ मिलकर पढ़ें और साथ जुड़ें !
श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
आओ मिलकर पढ़ें और साथ जुड़ें !