जिसकी भावना हो की "में ब्रह्म हूँ " जो अखंड आनंद की मूर्ति हो, जो निविर्कल्प चित्त स्थिति को प्राप्त कर चुका हो, ऐसे व्यक्ति मे संन्यास और आत्मत्याग की भावना शरण ले लेती है I
His whole nature is one with Brahman. He is the embodiment of permanent bliss; his mind is without any doubts. He is the incarnation of resignation (denial of pleasures).
Shirdi Sai
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श्री साई सच्चरित्र
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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
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