बाबा स्वयं में आनंद-मग्न व तल्लीन थे I वे यथार्थ में अखण्ड सच्चिदानंद थे I मै उनकी महानता और अद्वितीयता का वर्णन कैसे कर सकता हूँ ? जो भी साईं के चरण कमलो की शरण लेगा, उसका विशवास उनमे द्रढ़ हो जायेगा और उसे आत्म साक्षात्कार की प्राप्ति होगी I
(CI 28 Adhaya 07 Sai Sachitra Dr R.N.Kakria)
Shirdi Sai
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Wednesday, May 12, 2010
श्री साई सच्चरित्र
श्री साई सच्चरित्र
आओ मिलकर पढ़ें और साथ जुड़ें !
श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
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