मन को अपना गुलाम बनाकर उससे मोक्ष का काम लेना चाहिए। मन को कामना,विषय, इच्छा और तृष्णा आदि से खाली करके उसमें ईश्वरीय प्रेम भरना चाहिए। सदैव चौकस होकर मन पर निगरानी रखनी चाहिए तथा आत्मसुख को पाकर उसी में मस्त रहना चाहिए। मन कोई वस्तु नहीं है। मन तुम्हारी ही शक्ति से कार्य करता है। तुम मन से भिन्न ज्योतिस्वरूप आत्मा हो।
Hariom
Shirdi Sai
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Tuesday, May 4, 2010
श्री साई सच्चरित्र
श्री साई सच्चरित्र
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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
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