यह जानना कि हमारा मालिक कौन है, आम इनसान के बस की बात नहीं। हमारे असली मालिक वह पिता-परमेश्वर हैं, जो हर समय हमारा ध्यान रख रहे हैं। चाहे हम सोए हुए हों या जगे हुए हों, वह हमारा ख्याल कर रहे हैं कि हमें कोई तकलीफ न हो, हमारे साथ सब कुछ ठीक-ठाक हो। हमें हर समय खाने की चीजें मिलती रहती हैं। चाहे वह कपड़ा पहनें, न पहनें, पर वह हम सबके लिए कपड़े जरूर तैयार रखते हैं। और हर समय, हर पल, हर जगह जहां भी हम हों, वह हमारे अंग-संग रहते हैं। अगर हम जान लें कि हम प्रभु के ही अंग हैं, उन्हीं का रूप हैं, तो फिर हम अपनी असली मंजिल की ओर बढ़ पाएंगे। महापुरुष हमें यही समझाते हैं कि हम इस माया की दुनिया के जाल में न फंसें।हम लोग यह भूल जाते हैं कि हम कौन हैं। हम सोचते हैं कि हम पिता हैं, माता हैं, बच्चे हैं, भाई-बहन हैं। हम सोचते हैं कि हम अध्यापक हैं, डॉक्टर हैं, इंजीनियर हैं। परन्तु हम सब भूल जाते हैं कि हम प्रभु की संतान हैं, हम खुदा के बंदे हैं, हम एक-दूसरे से अलग नहीं। प्रभु कहीं आसमान में नहीं, हम सबके अंदर बसे हैं। सारे महापुरुष इस धरती पर आकर हमें यही समझाते हैं कि हम यह जानें कि हम कौन हैं। ॐ साईं राम
Shirdi Sai
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Tuesday, May 4, 2010
श्री साई सच्चरित्र
श्री साई सच्चरित्र
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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
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