Friday, September 30, 2011

साईं संदेश

"सच्चे ह्रदय से गुरु की  सेवा करो,अपने सर्वस्व उन पर न्योछावर कर दो, उनसे बंधन और मोक्ष के तत्व के विषय में समझो,उनसे विद्या और अविद्या के प्रशन पुछो, ताकि तुम्हें गुरु से उत्तम फल मिले I  
Serve the Guru with your whole being. Think of salvation and bondage, ponder upon the question of true knowledge and ignorance and leave the success only to the Guru.

Thursday, September 29, 2011

साईं वचन

ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥
साईं  वचन
 "जब तक तुम में 'तुम्हारा' और 'मेरा' का भाव रहेगा, तब तक वास्तव में तुम अपने हित के प्रति सचेत नहीं हो I उसे छोड़ दो, शारीर के प्रति मोह को दूर भगाकर, अपने वास्तविक स्वरूप की और मुड़ो"I         
As long as discrimination between You and me exist, it is not possible to preceive your own good. Give it up and then look at yourself by throwing away selfishness.
 
साईं नाम जो मन से ध्याता,
अंतर्मन उसका मिट जाता
पूरन होते है सब काम,
मिलकर बोलों
ॐ सांई राम ...
 
      

Tuesday, September 27, 2011

साईं संदेश,

 
"ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं"
साईं संदेश,
"सभी रिश्तो के पीछे एक ही चीज़ छिपी पड़ी है वह है इन्सान का प्रेम"
"ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं"


Monday, September 26, 2011

Sai Sandesh

ॐ साईं राम,
"अगर पूर्ण विशवास भरे दिल से तुम संतो के श्री मुख से बहने वाली सुधा सरिता में गोता लगाओगे तो तुम्हारा अंतब्राह्म दोनों शुद्ध हो जाएँगे, क्योंकि ऐसे करने से हर प्रकार की अशुद्धता धुल जाएगी" I  
When one takes a dip with full faith in the river of the nectar of the words of Saints, one is purified both inwardly and outwardly and all the impurities are washed away.  

Sunday, September 25, 2011

अच्छी सलाह


ॐ साईं राम, 
"बाबा शास्त्रों की शिक्षा का पालन करते थे,
जो कहते हैं कि बार-बार  दूसरों को हित वचन (अच्छी सलाह) ही कहो,सभी के प्रति  दयाभाव रखकर उनका परोपकार करो I 
बाबा भी इसी के अनुसार का आचरण करते थे" I    
One should give advice for the good of the people repeatedly and should oblige others. This motto, Baba followed and behaved accordingly. 


Saturday, September 24, 2011

Shirdi Sai Baba

ॐ साईं राम,
साईं वचन:
"क्रोध से मधुर स्मृतिओं का लोप हो जाता है" |

Friday, September 23, 2011

साईं संदेश


ॐ साईं राम,
"काल किसी के वश में नहीं होता लेकिन काल के वश में हम सब होते है" |

Thursday, September 22, 2011

साईं मुख वचन

 ॐ शिरडी वासाय विधमहे सच्चिदानन्दाय धीमही तन्नो साईं प्रचोदयात ॥
 
साईं मुख वचन
 "मैं किसी किसी वस्तु बिना मूल्य के नहीं लेता और न हर एक से मांगता हूँ, जिसकी और द्वारकामाई इंगित करती हैं,उससे मैं मांगता हूँ ओर जो गत जन्म का ऋणी है, उसी की ही दक्षिणा स्वीकार की जाती है"

Wednesday, September 21, 2011

साईं वचन

 
"पूर्ण विश्वास रखो कि गुरु ही कर्ता है उन पर भरोसा रखोगे तो तुम्हारे सब दुःख दूर होंगे"

Tuesday, September 20, 2011

Shri Sai Sachictra Sandesh



ॐ साईं राम,
"जब भक्त अनन्य भाव से सदगुरु की शरण में आता है, तभी उसे अनुभव होने लगता है कि उसके सब धार्मिक कृत्य उत्तम प्रकार से चलते हैं और निर्विघ्न समाप्त होते हैं" I   
(Adhaya 40, Shri Sai Sachictra, Sansthan)

ॐ साईं राम,

"जितने  भी  अवतार  है,सब  साईं  के  रूप,
राम  कहो  कान्हा  कहो,बाबा  सभी  सवरूप"
*TRUST SAI - JUST SAI*

Monday, September 19, 2011

संदेश

"गुरुवर का हृदय माँ का हृदय होता है | माँ प्यार भी करती है,बच्चे को दुलारती है,किन्तु साथ साथ एक आंख सुधार की भी रखती है" |

Thursday, September 15, 2011

साईं मुख वचन

"जब तुम निस्वार्थ होकर मेरी शरण मे आओगे तभी से तुमको अनुभव होने लगेगा,कि तुम्हारे सब कार्य उत्तम प्रकार से चलते और निर्विघ्न होते रहते हैं"

Wednesday, September 14, 2011

ॐ साईं राम

"साईं की सेवा करने की इच्छा भक्त को हमेशा के लिए निष्काम (यानि इच्छारहित) कर देती है और श्री साईं राम अपने भक्त को सर्वदा अपनी शरण में रखकर उसे हमेशा के लिए आराम प्रदान कर देते हैं" I  
Such a person who desires to serve Sai, Sai will make him desireless and Sairama will give rest, peace and happiness to his own devotee.  

Tuesday, September 13, 2011

श्री साईं सच्चचरित्र सन्देश



ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं
"सटका मार ज़मीन पर
पानी रहे बहाए,
चिमटा गाढ़ ज़मीन पर,
अग्नि भी ले आये,
बाबा यह मानव नहीं,
लगता कोई पीर,
अवतारी मुझको लगे,
चाहे वेश फकीर"
ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं
श्री साईं सच्चचरित्र  सन्देश  
"जिसकी बुद्धि निश्चय- शुन्य हो गई हो (यानि बुद्धि ने कोई भी निश्चय करना बन्द कर दिया हो) और जिसने चेतन्य को प्राप्त कर लिया हो, केवल वह ही आत्मज्ञान प्राप्त करता है और वास्तव में वह ही धन्य होता है" I   
When the intellect will not need the help of the sense of discretion, the mind will come alive. That is Pure Consciousness and nothing else. Blessed is the man who can gain.
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http://shirdi-sai-rasoi.blogspot.com/

श्री साई सच्चरित्र



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