जब "सदगुरु" शब्द ह्रदय के तारों को झंकारता है तो तुरंत साईं की स्मृति हो जाती है I यथार्थ मे वे ही तुम्हारे सामने आकर खड़े हो जाते हैं और अपना बरद-हस्त तुम्हरे ह्रदय पर रखते हैंI
(CI 2 Adhaya 06 Sai Sachitra Dr R.N.Kakria )
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