Monday, April 26, 2010

भगवान समझाते है

......तुम्हारा कोई कुछ छीन नहीं लेगा, तुम अपने स्वरूप को पहचानो ......तुम चैतन्य आत्मा हो ! अनित्य है तो यह शरीर और नित्य है यह आत्मा ; मिटने वाला तत्व तो है शरीर और जो मिटने वाला है उसकी चिंता क्यों करते हो --
आएगी जाएगी मिलेगी छूटेगी ----
संसार है ही संयोग तथा वियोग का स्वरूप ! ! !

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

श्री साई सच्चरित्र अध्याय 2


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Sai Aartian साईं आरतीयाँ