Shirdi Sai
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Saturday, June 30, 2012
Friday, June 29, 2012
Wednesday, June 27, 2012
Tuesday, June 26, 2012
Monday, June 25, 2012
Sunday, June 24, 2012
Saturday, June 23, 2012
Friday, June 22, 2012
Thursday, June 21, 2012
Wednesday, June 20, 2012
Tuesday, June 19, 2012
Sandesh
ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं
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श्रद्धा भक्ति नाव बने, बाबा उसे चलाये |
बाबा जी की हो कृपा, भवसागर तर जाय ||
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अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय !
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मंगल मन्त्र
ॐ हुं श्रीं मंगलाय नमः ||
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श्री साईं वचन - प्राणी सदा से मृत्यु के अधीन रहा है| मृत्यु की कल्पना करके ही वह भयभीत हो उठता है| कोई मरता नहीं है| यदि तुम अपने अंदर की आंखे खोलकर देखोगे, तब तुम्हें अनुभव होगा कि तुम ईश्वर हो और उससे भिन्न नहीं हो, वास्तव में किसी भी प्राणी की मृत्यु नहीं होती| वह अपने कर्मों के अनुसार, शरीर का चोला बदल लेता है| जिस तरह मनुष्य पुराने वस्त्र त्याग कर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, ठीक उसी के समान जीवात्मा भी अपने पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नए शरीर को धारण कर लेती है|
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Monday, June 18, 2012
Sandesh
ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं
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साईं लीला चरित से, जीव मोक्ष पा जाय |
संसारी संतोष धन, साधक साधन पाय ||
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श्री वेद स्तुति
नमः शम्भवे च मयोभवे च नमः शंकाराय च ।
मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च ।।
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श्री साईं वचन -अपने मध्य से भेदभाव रुपी दीवार को सदैव के लिए मिटा दो तभी तुम्हारे मोक्ष का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा| ध्यान रखो साईं सूक्ष्म रूप से तुम्हारे भीतर समाए हुए है और तुम उनके अंदर समाए हुए हो| इसलिए मैं कौन हूं? इस प्रश्न के साथ सदैव आत्मा पर ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास करो| वैसे जो बिना किसी भेदभाव के परस्पर एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, वे सच में बड़े महान होते हैं|
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श्री साईं कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे
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Saturday, June 16, 2012
Sandesh
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जो नर दुःख में हर भजे सो बड़भागी होए |
ऐसे जन की संगत से पापकर्म दो खोए ||
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त्वमेव माता च पिता त्वमेव |
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव |
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव |
त्वमेव सर्व मम देवदेव ||
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ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं
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अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय !
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ॐ ऐं हीं श्रीं श्नैश्चराय नमः ||
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Thursday, June 14, 2012
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भक्तों की पत राखता तू पत राखनहार |
भक्त तेरे हैं, तू भक्तों का मेय्या परम उदार ||
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ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं
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अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय !
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श्री साईं वचन - जो भी अहंकार त्याग करके, अपने को कृतज्ञ मानकर साईं पर पूर्ण विश्वास करेगा और जब भी वह अपनी मदद के लिए साईं को पुकारेगा तो उसके कष्ट स्वयं ही अपने आप दूर हो जायेगें| ठीक उसी प्रकार यदि कोई तुमसे कुछ मांगता है और वह वस्तु देना तुम्हारे हाथ में है या उसे देने की सामर्थ्य तुममे है और तुम उसकी प्रार्थना स्वीकार कर सकते हो तो वह वस्तु उसे दो, मना मत करो, यदि उसे देने के लिए तुम्हारे पास कुछ नहीं है तो उसे नम्रतापूर्वक इंकार कर दो, पर उसका उपहास मत उड़ाओ और न ही उस पर क्रोध करो| ऐसा करना साईं के आदेश पर चलने के समान है|
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Tuesday, June 12, 2012
Monday, June 11, 2012
Sandesh
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ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं
बुरे होए पिछले कर्म, पर अब आपो साथ |
पाप जले जिस अग्नि में, अग्नि है श्री नाथ ||
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श्री साईं वचन - कर्म देह प्रारम्भ (वर्तमान भाग्य) पिछले कर्मो का फल अवश्य भोगना पड़ेगा, गुरु इन कष्टों को सहकर सहना सिखाता है, गुरु सृष्टि नहीं दृष्टि बदलता है|
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अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय !
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तिलक लगाने का मन्त्र
केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम ।
पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु ।।
कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम् ।
ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम् ।।
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श्री साईं कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे
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Saturday, June 9, 2012
Friday, June 8, 2012
Thursday, June 7, 2012
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गुरु को सिर राखिये, चलिये आज्ञा माहिं |
कहैं कबीर ता दास को, तीन लोकों भय नाहिं ||
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गुरु को अपना सिर मुकुट मानकर, उसकी आज्ञा मैं चलो | कबीर साहिब कहते हैं, ऐसे शिष्य - सेवक को तीनों लोकों से भय नहीं है |
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अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय !
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मां कछुवी नदी के दूसरे किनारे पर रहती है और उसके छोटे-छोटे बच्चे दूसरे किनारे पर| कछुवी न तो उन बच्चों को दूध पिलाती है और न ही उष्णता प्रदान करती है| पर उसकी दृष्टिमात्र ही उन्हें उष्णता प्रदान करती है| वे छोटे-छोटे बच्चे अपने मां को याद करने के अलावा कुछ नहीं करते| कछुवी की दृष्टि उसके बच्चों के लिए अमृत वर्षा है, उनके जीवन का एक मात्र आधार है, वही उनके सुख का भी आधार है| गुरु और शिष्य के परस्पर सम्बन्ध भी इसी प्रकार के हैं|
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Wednesday, June 6, 2012
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जिस दिल में साईं की तस्वीर बन गयी है, उसकी तो समझो तक़दीर बन गयी है और जिसने भी कर लिया साईं का दर्शन जन्नत तो उसके घर की जागीर बन गयी है |
ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं
श्री साईं जी कृपा करो जी हम सब पर
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श्री साईं वचन - "जो मुझ पर भरोसा रखता है, मैं उसको कभी नही त्यागता"
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Monday, June 4, 2012
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ॐ साईं श्री साईं ॐ श्री साईं
निर्बल और गरीब के, मालिक साईं नाथ |
सबका मालिक एक है, भज ले दीनानाथ ||
श्री साईं कृपा सदैव हम सब पर बनी रहे
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अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज परब्रह्म श्री सचिदानंद समस्त सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय !
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साईं वचन - मेरे भक्तों में दया कूट-कूटकर भरी रहती है, दूसरों पर दया करने का अर्थ है मुझे प्रेम करना चाहिए, मेरी भक्ति करना|
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