Wednesday, November 30, 2011

सिमरन, भजन यह ही जीव का 
सच्चा धन है, जो अंत में जीव के
 साथ जाता है | 

Friday, November 25, 2011

ॐ साईं राम,
"साईं जी के दर्शन कीए,मन में हर्ष समाये,
दर्शन कर अवतार के,चरणन में पड़ जाये"
साईं कृपा हम सब पर बनी रहे | 
 

Wednesday, November 23, 2011

ध्यान की गहराई


बात उस समय की है जब स्वामी विवेकानंद शिकागो के व्याख्यान के बाद अमेरिका में प्रसिद्ध हो चले थे। वहां वह घूम-घूमकर वेदांत दर्शन पर प्रवचन दिया करते थे। इस सिलसिले में उन्हें अमेरिका के उन अंदरूनी इलाकों में भी जाना होता था, जहां धर्मांध और संकीर्ण विचारधारा वाले लोग रहते थे। एक बार स्वामीजी को ऐसे ही एक कस्बे में व्याख्यान के लिए बुलाया गया था। एक खुले मैदान में लकड़ी के बक्सों को जमाकर मंच तैयार किया गया था।

स्वामीजी ने उस पर खड़े होकर वेदांत, योग और ध्यान पर व्याख्यान देना शुरू किया। बाहर से गुजरने वाले लोग भी उनकी बातें सुनने लगे जिनमें कुछ चरवाहे भी थे। थोड़ी देर में ही उनमें से कुछ ने बंदूकें निकालीं और स्वामीजी की ओर निशाना दागने लगे। कोई गोली उनके कान के पास से गुजरती तो कोई पांव के पास से। नीचे रखे कुछ बक्से तो छलनी हो गए थे। लेकिन इस सबके बावजूद स्वामीजी का व्याख्यान पहले की तरह धाराप्रवाह चलता रहा। न वह थमे न उनकी आवाज कांपी। अब चरवाहे भी वहां ठहर गए।

व्याख्यान के बाद वे स्वामीजी से बोले, 'आपके जैसा व्यक्ति हमने पहले नहीं देखा। हमारी गोलीबारी के बीच आपका भाषण ऐसे चलता रहा जैसे कुछ हुआ ही न हो। अगर हमारा निशाना चूकता तो आपकी जान आफत में पड़ सकती थी।' स्वामीजी ने उन्हें बताया कि जब वह व्याख्यान दे रहे थे, तब उन्हें बाहरी वातावरण का ज्ञान ही न था। उनका सारा चित्त वेदांत और ध्यान की उन गहराइयों में डूबा हुआ था। वे चरवाहे उनके प्रति नतमस्तक हो गए।

Tuesday, November 22, 2011

साईं संदेश

संसार में जितने भी सजदे होते है,जिसके लिये सिर झुकाए जाते है,वह एक ही  है | 

Sunday, November 20, 2011

संत की संगत

"संत की संगत में बिताया एक क्षण भी चंचल मन को शान्त व स्थिर कर देता है और उसे तुरंत हरी-चरणों से जोड़ देता है और उसके बाद वहाँ से वापस मुड़ना कठिन हो जाता है" I   
If one is able to get the company of a Saint, even for a movement, the wayward mind becomes steady and immediately settles  at the feet of the God where it is difficult to turn back.
"ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं"

Saturday, November 19, 2011

आत्मा के गुण

आत्मा के गुण देह, ज्ञानेन्द्रियों, मन, प्राण से विलक्षण हैं I वह स्वयं ज्योतित शुद्ध चेतन्य, विकारहीन और निराकृति है I        
The Atman is unique. It is separate from the body, the sense organs, the mind and prana. It is self illumined, pure consciousness, not subject to change and without form.    

Thursday, November 17, 2011

साईं वचन

"मन बहुत चंचल है, क्योंकि यह हमको मोह-जाल मे फंसाता है, शांति पाना चाहते हो तो इसको काबू मे रखो"

Tuesday, November 15, 2011

साईं वचन

"जीवन के अंत को सुधारना चाहते हो तो जीवन के हर पल को सुधारो"

Sunday, November 13, 2011

साईं नाम

ॐ साईं राम,
"साईं नाम लेते लेते कटे रे उमरिया
साईं नाम लेते लेते रे"....
चलो रे फकीरा अब आओ घर चलो रे,
आई रे अँधेरी काली रात,
राह खोया बछिआरा साईं घर चलो रे,
साईं पकड़ेगे तेरा हाथ,
साईं नाम लेते लेते रे.....
दूर से बजने लगी है साँझ की आरती रे,
पास कहीं साईं माँ का गाँव,
साईं तेरी राह देखे तुझको पुकारे रे,
आओ भाई साईं पास आओ,
साईं नाम लेते लेते रे.....
राम ढूंढे,श्याम  ढूंढे, ढूंढे हनुवीरा रे,
ढूंढे सारे देवता महान,
ढूँढना है जिसे मेरे साईं पास ढूढे रे,
साईं-रूप सब ही  विराजे,
साईं नाम लेते लेते रे..... 

Friday, November 11, 2011

साईं वचन

"वंदन से भगवान बंधन मे बंधते हैं"

Thursday, November 10, 2011

Guru Nanak Dev Ji

Guru Nanak Dev Ji.,the first guru, the founder of Sikhism, was born in 1469 in a village in Pakistan. As we know that The birthday of Guru Nanak Sahib falls on Kartik Poornima, i.e., the day of the full moon in the month of Kartik. Their birthday usually falls in the month of November. The celebration of this holy day is celebrated differently at different places....Generally two days of their birthday, Akhand Path(a 48 hrs of continuous reading of Guru Granth Sahib) in the Gurdwaras.

Tuesday, November 8, 2011

श्री साईं बाबा की भक्ति

"जब भक्त पूर्ण अन्त:करण से श्री साईं बाबा की भक्ति करने लगते है तो बाबा उसके समस्त कष्टों और दुर्भाग्यों को दूर कर स्वयं उसकी रक्षा करने लगते है" I    
Whenever, a devotee had complete and whole-hearted devotion to Sai Baba, all his calamities and dangers were warded off and his welfare attended to by Baba. 
ॐ साईं राम

 

Monday, November 7, 2011

सदगुरु की शरण


ॐ साईं राम  
"सबसे पहले व्यक्ति को सभी इच्छाओं से मुक्त होना चाहिए और फिर अनन्य भाव से सदगुरु की शरण में जाकर पूर्ण समर्पण करना चाहिए I जो ऐसी द्र्णश्रद्धा सपन्न है, केवल वही आत्मविज्ञानं को प्राप्त करने का पात्र है" I    
Initially one should be completely desireless. Then one should surrender totally to a Guru. In this way, he who develops firm and full faith deserves the knowledge of the Atman.    

 

Friday, November 4, 2011

ज्ञान से श्रेष्ट ध्यान

"ज्ञान से श्रेष्ट ध्यान है I ऐसा भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था I साईं ने भी भक्तों को भवबंधन से मुक्त होने का यही साधन बताया था" I  
Meditation on God is better than pure knowledge. Even Lord Krishna tells this to Arjun. Sai also said that it was the means to break the ties of the world. 

साईं वचन

"अहंकार इन्सान को अंधकार की ओर ले जाता है, इसलिए अहंकार को त्याग कर सदा सब्र व श्रधा से काम लेना चाहिए"

Thursday, November 3, 2011

गुरु

"गुरु ही जननी हैं और गुरु ही पिता हैं I जब देवता क्रोधित होते हैं, तब गुरु ही रक्षा करते हैं" I    Guru is the mother and Guru is the father. Guru is the protecter when God's wrath is incurred.
जय साईं राम जी.


Wednesday, November 2, 2011

साईं वचन

"अतिपापी को भी निराश होने की जरुरत नहीं है, भगवान का नाम जपने से पाप शीघ्र-अतिशीघ्र नष्ट होते है"

साईं वचन

"परमात्मा के ध्यान से मन शुद्ध होता है,परन्तु परमात्मा के दर्शन के लिए श्रधा और सबुरी की अति आवश्यकता होती है"

Tuesday, November 1, 2011

अनुशासन का पाठ

यह उन दिनों की बात है, जब डॉ. जाकिर हुसैन जामिया मिलिया इस्लामिया की हालत सुधारने में जुटे थे। एक दिन उन्होंने शिक्षकों से कहा, 'हम चाहते हैं कि हमारे छात्र अनुशासन का पालन करें। वे साफ-सफाई पर ध्यान दें। उनके कपड़े साफ-सुथरे हों। उनके जूतों पर अच्छी तरह पॉलिश हो। इससे विश्वविद्यालय का शैक्षणिक माहौल बेहतर होगा।'
अगले दिन उन्होंने इसके लिए एक नोटिस जारी किया। फिर छात्रों को मौखिक आदेश भी दिया। कुछ दिन बाद अध्यापकों ने उनसे कहा, 'हम लोगों ने कई बार प्रयास किया, मगर छात्रों पर कोई असर नहीं पड़ा। इसके लिए कठोर कार्रवाई की जरूरत है।' जाकिर हुसैन ने कहा, 'नहीं, कठोर कार्रवाई का छात्रों पर गलत असर पड़ेगा।' मगर उन्होंने तय कर लिया कि वह अपना मकसद किसी भी कीमत पर हासिल करके रहेंगे। अगले दिन सुबह-सुबह छात्रों ने विश्वविद्यालय के गेट पर एक व्यक्ति को बैठे देखा, जो सबसे जूते पॉलिश कराने के लिए कह रहा था।
कुछ छात्रों ने उससे जूते पॉलिश कराए। उस शख्स ने पैसे नहीं लिए और कहा कि यह यूनिवर्सिटी की तरफ से कराया जा रहा है। इस पर कुछ और छात्र पॉलिश करवाने लगे। तभी एक विद्यार्थी ने पॉलिश करने वाले का चेहरा गौर से देखा तो उसके होश उड़ गए। वह तो जाकिर हुसैन थे। पूरे विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया। बाकी छात्र जहां थे वहीं रुक गए। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि अब किया क्या जाए।

उसी समय कुछ वरिष्ठ छात्र, जो विश्वविद्यालय का माहौल खराब करने में सबसे आगे रहते थे, उनके पास आए और कहने लगे, 'हमसे बहुत बड़ी गलती हुई। आज से आप जैसा कहेंगे हम लोग वैसा ही करेंगे। हमें माफ कर दीजिए।' जाकिर हुसैन बोले, 'तुम लोग अभी से अनुशासन का मखौल उड़ाओगे तो आगे चल कर तुम्हें परेशानी होगी। हम चाहते हैं कि यहां के छात्रों से दूसरे लोग कुछ सीखें।' उसके बाद विश्वविद्यालय का माहौल पूरी तरह बदल गया।

श्री साई सच्चरित्र



श्री साई सच्चरित्र

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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1

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