Shirdi Sai
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Sunday, July 31, 2011
Sai Teachings
"जो अपने ह्रदय को शुद्ध किए बिना ही आध्यात्म के मार्ग पर चलने कि कोशिश करता है, वह अपने ज्ञान का आडम्बर करता है I वास्तव में वह प्रयतन फलरहित होता है"I
He who tries to penetrate the realm of divine life without the purification of his mind, his efforts appear like an exhibition of scholarship. It is all a futile effort.
(Clause 76 Adhaya 17, Sai Sachitra Dr R,N,Kakriya)
ॐ साईं राम
Saturday, July 30, 2011
धर्म की भूमिका
काशी के एक संत गंगा किनारे कुटी बना कर रहते थे। एक बार वह प्रवचन करने किसी दूसरे आश्रम में जा रहे थे। रास्ते में एक व्यापारी मिला। संत ने उससे पूछा, 'क्या पीपल बाबा के आश्रम का रास्ता यही है?' व्यापारी बोला, 'हां, मैं भी उधर ही जा रहा हूं। आप भी मेरे साथ चलिए।' दोनों चलने लगे। व्यापारी ने पूछा, 'आप तो विद्वान संत हैं। एक बात समझ में नहीं आती कि आप जैसे संत के होते हुए भी देश में अराजकता फैली हुई है। कोई धर्म के रास्ते पर चलता ही नहीं। ऐसे धर्म का क्या फायदा कि लोग अपनी बुराई छोड़ते ही नहीं और ऐसे महात्माओं का क्या फायदा जिनके प्रवचनों का असर लोगों पर पड़ता ही नहीं।'
संत ने पूछा, 'आप क्या करते हैं?' व्यापारी ने कहा, 'मेरा साबुन बनाने का कारखाना है।' इतने में एक किसान भी आ गया। वह दोनों की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था। संत ने उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा, 'तुम्हारे कपड़े तो बहुत गंदे हैं। सफाई क्यों नहीं करते?' किसान ने कोई जवाब नहीं दिया। संत ने व्यापारी से कहा, 'ऐसे साबुन बनाने से क्या फायदा कि लोगों के कपड़े अब भी गंदे हैं।' इस पर व्यापारी बोला, 'महात्मा जी, इसमें साबुन का क्या दोष। साफ-सुथरा रहने के लिए लोगों को स्वयं साबुन से कपड़े धोने चाहिए। कुछ लोगों की आदत ही होती है गंदा रहने की।' संत मुस्करा कर बोले, 'तुम ठीक कहते हो। इसी तरह संतों का काम लोगों को अच्छे गुण सिखाना है और धर्म के बारे में लोगों को जागृत करना है। यह काम तो लोगों का है कि वे संतों की वाणी को अपने जीवन में उतारें। मगर कुछ लोगों के अनसुना करने से न तो धर्म का महत्व कम होता है और न ही महात्माओं का। जिस तरह कई लोग साबुन का लाभ उठाते हैं उसी तरह संतों की वाणी का बहुत से लोगों पर गहरा असर पड़ता है।'
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संत ने पूछा, 'आप क्या करते हैं?' व्यापारी ने कहा, 'मेरा साबुन बनाने का कारखाना है।' इतने में एक किसान भी आ गया। वह दोनों की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था। संत ने उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा, 'तुम्हारे कपड़े तो बहुत गंदे हैं। सफाई क्यों नहीं करते?' किसान ने कोई जवाब नहीं दिया। संत ने व्यापारी से कहा, 'ऐसे साबुन बनाने से क्या फायदा कि लोगों के कपड़े अब भी गंदे हैं।' इस पर व्यापारी बोला, 'महात्मा जी, इसमें साबुन का क्या दोष। साफ-सुथरा रहने के लिए लोगों को स्वयं साबुन से कपड़े धोने चाहिए। कुछ लोगों की आदत ही होती है गंदा रहने की।' संत मुस्करा कर बोले, 'तुम ठीक कहते हो। इसी तरह संतों का काम लोगों को अच्छे गुण सिखाना है और धर्म के बारे में लोगों को जागृत करना है। यह काम तो लोगों का है कि वे संतों की वाणी को अपने जीवन में उतारें। मगर कुछ लोगों के अनसुना करने से न तो धर्म का महत्व कम होता है और न ही महात्माओं का। जिस तरह कई लोग साबुन का लाभ उठाते हैं उसी तरह संतों की वाणी का बहुत से लोगों पर गहरा असर पड़ता है।'
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(Sri Paramahansa Yogananda)
Teach us to love the birds and
beasts; and the frail wayside
flowers and mute grasses, oft
crushed by our unheeding feet.
Friday, July 29, 2011
Sai Teachings
"जब भगवान किसी पर कृपा करते हैं तो वे उसे विवेक और वेराग्ये देकर इस भवसागर से पार कर देते हैं" I
When God is pleased with someone then he bless him wisdom and quietness to cross the ocean of Value.
(Adhaya 17, Shri Sai Sachictra, Sansthan)
ॐ साईं राम
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Thursday, July 28, 2011
साईं वचन
"मानव के लिय गुरु का स्थान सबसे महत्वपूर्ण है,
उसमें सबसे अधिक श्रद्धा रख और केवल उसी के
प्रति समर्पित रहने से सब कुछ पाया जा सकता है"
Wednesday, July 27, 2011
Sai Teachings
"जो जैसा बोता है, वैसा ही काटता है, जब तक कि भोग पूर्ण नहीं होता" I
As you sow so shall you reap untill your sufferings complete.
Tuesday, July 26, 2011
Sai Teachings
"विशेष भक्ति कि कोई आवश्यकता नहीं, केवल गुरु को नमन या उसका पूजन करना ही पर्याप्त है" I
ॐ साईं राम
Monday, July 25, 2011
Sai Teachings
ब्रह्म ज्ञान का मार्ग बड़ा विकट है, हर किसी के लिए इसे प्राप्त करना सुलभ नहीं है I जब मनुष्य का भाग्योदय होता है, तब वह उस सोभाग्यशाली को अचानक स्वयं ही प्रकट होता है I
"The path of knowledge of Brahman is difficult. It is not easy to follow for all and sundry. When the time is ripe, it appears before that fortunate person, all of a sudden."
ॐ साईं राम
Sunday, July 24, 2011
ॐ साईं राम
"श्रेय और प्रेय का मिलना, दूध और पानी के मिलने के समान है I और इस मिश्रण से, जैसे मानस झील के हंस पानी को अलग करके केवल शुद्ध दूध पियेंगे, वैसे ही प्रतिज्ञा, बुधिमंत, विवेकी और भाग्यशाली श्रेय से जुड़ेंगे और सदैव प्रेय से विमुख होंगे I
The Good and the Pleasant are inter-mixed like water and milk. But the Swans of Manas lake drink only the milk. Similarly, those steadfast by nature, wise and self control and fortunate one only hunker for the Good and shun the Pleasant.
Saturday, July 23, 2011
Sai Sandesh
ॐ साईं राम,
"जाके सिर गुरु ज्ञान है,सोई तरत भव माहि |
गुरु बिन जानो जंतु को,कबहु मुक्ति सुख नाहि ||
"क्या पोथी और धार्मिक ग्रन्थों में ब्रह्म के विषय में दिए गये वर्णन में कोई कमी है ?
लेकिन जब तक सदगुरु कृपा नहीं करेंगें,
तब तक चाहे कोई कितना ही कठोर प्रयत्नं क्यों न कर ले,
सृष्टि के अंत तक भी वह कभी ब्रह्म को प्राप्त नहीं कर सकता" I
साईं वचन
"चाहे इस संसार में तुम कही भी जाओ, में हर जगह तुम्हारे साथ ही जाता हूँ I तुम्हारा ह्रदय ही मेरा घर है; में तुम्हारे अंत:करण में निवास करता हूँ" I
Friday, July 22, 2011
Wednesday, July 20, 2011
साईं वचन
"संसार चाहे उलट पलट हो जाये, परन्तु तुम्हे स्थिर रहना चाहिए और श्रधा - सबुरी का साथ नही छोडना चाहिए"
Tuesday, July 19, 2011
साईं वचन
'सब्र और श्रधा ही मनुष्य का मनुष्यत्व है, इन दोनों गुणों के धारण करने से पाप और मोह नष्ट होता है और हर तरह का संकट दूर हो जाता है"
Monday, July 18, 2011
साईं वचन
"बस तुम एक बार अपने आप को सदगुरु के चरणों में समर्पित कर दो, फिर तुम्हे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं पड़ेगी"
Sunday, July 17, 2011
Saturday, July 16, 2011
साईं मुख वचन
"आसक्ति का भ्रम और धन की तृष्णा दुःख का एक भवर है, जिसमे अहंकार व मोह रूपी मगरमछो का वास है, इस भवर से तुमको श्री भगवन नाम ही पार उतार सकता है"
Thursday, July 14, 2011
साईं मुख वचन
"कर्म-पथ अति रहस्यपूर्ण है , यद्यपि मैं कुछ भी नहीं करता फिर भी लोग मुझे ही कार्यो के लिय दोषी ठहराते हैं परन्तु मैं तो एक दर्शक मात्र ही हूँ"
Tuesday, July 12, 2011
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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
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