Shirdi Sai
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Thursday, September 30, 2010
Shri Krishna Bhagavad Gita
One who has control over the mind is tranquil in heat and cold, in pleasure and pain, and in honor and dishonor; and is ever steadfast with the Supreme Self.
Tuesday, September 28, 2010
Shirdi ke श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"संत अपने भक्तो की भक्ति के लिए प्रेमवश उनके कल्याण के लिए अपना दिव्य गुणसमूह पुर्णतः उपयोग किया करते है I जब संत अपने भक्तो की सहायता के लिए दौड़ते हैं, तो पर्वत घाटी जैसी बड़ी से बड़ी रूकावट को पार करना उनके लिए कठिन नहीं होता" I
Sunday, September 26, 2010
Sai Moksh ki Rah
"नव-नाथो की भक्ति जब तुझको कठिन दिखे,
तु साईँ की भक्ति से राह मोक्ष की पाए "।साईँ कृपा हम सब पर बनी रहे।
Saturday, September 25, 2010
Sai Ki Sharan
"चाहे स्वीकार करे या अस्वीकार करे,सो तो होकर ही रहेगा,केवल साईँ की शरण ही हमेँ सुखो और दुःखो से परे ले जा सकती है"।
Wednesday, September 22, 2010
संदेश,
"तुम्हें अपने कर्तव्य को बहुत कुशलता से पूरा करना चाहिए तुम जो भी कार्य करो उसे विधिवत और दक्षता से करो अहंकार को त्याग दो और अपने कर्तव्य को सम्मान, पैसा और प्रशंसा के लिए नही वरन अपनी आतंरिक इंद्रियों को शुद्ध करने के लिए करो ताकि भगवदभक्ति का विकास हो सके |
Tuesday, September 21, 2010
Shirdi ke Sai ji se Vinti
जय जय सतगुरु साईनाथ ! मैं आपके चरणों में नमन करने के लिए अपना माथा टेकता हूँ I आप निर्विकार और अखण्डस्वरूप हैं I उन पर कृपा करो जो (यानि में) आपके शरणागत होते हैं I
Monday, September 20, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
चाहे कितनी ही कठोर और पीड़ायुक्त परीक्षा क्यों न हो, भक्त को कभी भी अपने गुरु-देव को नहीं छोड़ना चाहिए - साईं ने भक्तो को प्रत्यक्ष अनुभव देकर इसकी सत्यता को प्रमाणित किया और उनके गुरु के प्रति उनके विशवास को दृढ़ किया I
Sunday, September 19, 2010
Sri Paramahansa Yogananda
जिस प्रकार दहकते कोयले की लालिमा से अग्नि का भान होता है, उसी प्रकार शरीर की सुन्दर कार्यशैली से आत्मा की उपस्थिति का भान होता है |
Friday, September 17, 2010
Swami Ramsukhdas:
किसी के लिये कुछ करके यदि आपको अभिमान होता है कि आपने दूसरों के लिये कुछ अच्छा किया है तो यह आपकी गलती है। क्योंकि जो भी योग्यता, कला, ज्ञान आपके पास है वह समाज से ही आपको प्राप्त हुआ है। यदि तुम इसका प्रयोग समाज के लिये करते हो तो यह कोई महान कार्य नहीं है। यदि आपको इस बात का अभिमान है तो आपमे अहंकार विकसित हो रहा है और यह आपको मेरेपन की ओर ले जाता है।
(Swami Ramsukhdas)
(Swami Ramsukhdas)
Thursday, September 16, 2010
Shirdi Sai Sandesh
"साईं संतो में महान हैं I वे ईश्वर के अवतार हैं I जो पूर्ण समर्पण कर उनके सामने नतमस्तक हो जाएगा, वे उस पर अवश्य कृपा करेंगें I"
Wednesday, September 15, 2010
Shirdi Sai Sandesh
"ब्रह्म के दो स्वरूप - निर्गुण और सगुण I निर्गुण निराकार है और सगुण साकार है I क्योंकि वे एक ही ब्रह्म के दो रूप हैं, इसलिए परस्पर भिन्न नहीं हैं I"
Tuesday, September 14, 2010
Sri Paramahansa Yogananda:
जो व्यक्ति अच्छे भाव रखता है और अच्छे विचारों के विषय में सोचता है वह प्रकृति और जनसामान्य में केवल अच्छाई देखेगा, तुम्हें अच्छे कार्यों को ही यादरखने के लिए स्मरण शक्ति दी गई है,उन अच्छीबातों को उस समय तक याद करो जब तक कि तुम सर्वोच्च अच्छाई - ईश्वर को याद न कर लो |
A person who feels good emotions, and thinks good thoughts, and sees only good in nature and people, will remember only good.Memory was given to you to practice the recollection of good things until you can fully remember the highest Good, God.
(Sri Paramahansa Yogananda)
A person who feels good emotions, and thinks good thoughts, and sees only good in nature and people, will remember only good.Memory was given to you to practice the recollection of good things until you can fully remember the highest Good, God.
(Sri Paramahansa Yogananda)
Monday, September 13, 2010
साईं दया की ....
"साईं ऐसी दया की मूर्ति हैं! उनका अपने भक्तों के प्रति वैसा ही स्नेह है, जैसा कि माँ का अपने नन्हे शिशु के प्रति होता है!"
Sunday, September 12, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"देवताओं को भक्तो, साधु और संत अपने जीवन से अधिक प्रिय होते हैं और उन्ही की इच्छानुसार वे कार्य करते हैं I उनके लिए देवता धरती पर प्रकट होते हैं I" Gods love their devotees and their Saints and Sages more than themselves. Gods heeds their words and take human birth for their sake.
Saturday, September 11, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"मै पूर्णत: अपने भक्तो कि शक्ति के अधीन हूँ और सदा उनके समीप ही रहता हूँ I मै तो सदा भक्तो के प्रेम का भूखा हूँ और मुसीबत के समय जब भी भक्त मुझे पुकारते हैं मै तुरंत उपस्थित हो जाता हूँ I
Friday, September 10, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"यह सांसारिक जीवन अति विलक्षण हैं, जिसके लक्ष्ण धर्म, अधर्म आदि हैं I इनकी चिन्ता केवल वे लोग करते है, जिन्हें आत्मज्ञान का बोध नहीं हुआ होता I "
Thursday, September 9, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
जिसका ह्रदय ब्रह्म मे लीन हो गया है, जो संसार के प्रपंचो से निर्वृत्त हो गया है, जो निर्त्य के सांसारिक प्रपंचो से मुक्त हो गया है, वह ब्रह्म से एकत्व स्थिति का अनुभव करता है और केवल वह ही आनंदमूर्ति है I
Wednesday, September 8, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
"भगवान कृष्ण, जो स्वयं परमात्मा हैं, कहते हैं कि "संत मेरा ह्रदय और आत्मा हैं; वे मेरी सजीव प्रतिमा हैं; प्रेम करने वाले और दयालु संत मेरे अलावा कोई अन्य नहीं हैं I" "Krishna who is himself God, says "A Saint is as it were, my soul, my living image and a saint is my beloved and is mysel...
Tuesday, September 7, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
बाबा अत्यंत क्षमाशील, शान्त, सरल और संतुष्ट थे I यधपि वे शरीरधारी प्रतीत होते हैं, पर वे यथार्थ में निर्गुण, निराकार और अनंत हैं I संसार मे रहते हुए भी वे अन्दर से निर्मुक्त और आत्मरत हैं I
Monday, September 6, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
संतो की इस धरती पर अवतार लेने की यही स्थिति होती हैं, वे प्रकट होते हैं और प्रस्थान करते हैं I परन्तु जिस प्रकार संत जीवन व्यतीत करते हैं, उससे वे दुसरो को सांत्वना और सुख पहुंचाते हैं और संसार को पावन करते हैं I
Friday, September 3, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
मूर्ति, वेदी, अग्नि, प्रकाश, सूर्य, जल और द्विज (ब्राह्मण) आदि सप्त पवित्र उपासना की वस्तुएं होते हुए भी गुरु की उपासना ही इन सभी में श्रेष्ट है I इसलिए अनन्य भाव से उनका पूजन करें I
Wednesday, September 1, 2010
श्री साईं सच्चरित्र संदेश,
यह देह नाशवान है; किसी न किसी दिन इसका अंत निश्चित है I इसलिए भक्तो को इसके लिए दू:खी न होकर उस आदि-अनंत यानि ईशवर का ध्यान करना चाहिए I
"The body is perishable certainly. It is going to come to an end, at some point of time. Therefore, the devotees should not feel distressed but should concentrate on the eternal."
"The body is perishable certainly. It is going to come to an end, at some point of time. Therefore, the devotees should not feel distressed but should concentrate on the eternal."
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श्री साई सच्चरित्र अध्याय 1
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